दिल जीतो दिमाग नहीं : सुभाष घई
भारत जनसंचार संस्थान के शैक्षणिक सत्र 2020-21 का उद्घाटन सोमवार को केन्द्रिय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया। संस्थान नये सत्र के शुरूआत में पाँच दिनों का सत्रारंभ कार्यक्रम कर रहा। कार्यक्रम के दूसरे दिन "भारतीय सिनेमा में अवसर" विषय पर संवाद करत हुए प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सुभाष घई ने कहा कि हमें हमेशा अपनी आत्मा की बात को सुनना चाहिये, जो आत्मा कहती है वही मार्ग है। हमें दूसरों का दिल जीतना चाहिए ना कि दिमाग।उन्होंने कहा कि मैंने अपनी ज़िन्दगी में संवाद स्थापित कर के बहुत कुछ सीखा, मैंने ड्रामा से बहुत कुछ सीखा। ड्रामा के बारे में बताते हुए घई ने कहा कि हर किसी का अपना सत्य होता है जो दूसरों से अलग होता है और जब वही सत्य टकरा जाए तो वह ड्रामा का रूप ले लेती है। ड्रामा हमें सिखाता है कैसे हम तमाम असहमतियों, विरोधाभासों के बीच भी समाज में संवाद स्थापित कर सकते हैं।घई ने कहा कि हम सभी को अपने आप का पर्यवेक्षक बनना चाहिए, हमें खुद का शिक्षक बनना होगा तब जाकर हम जीवन में सफलता को पा सकेंगें।प्रशिक्षु पत्रकारों को सलाह देते हुए घई ने कहा कि जिस तरह एक दुकानदार अपने ग्राहक को पहचानता है उसी तरह से पत्रकार को खबर लिखने से पहले अपने समाज को पहचानना चाहिये तब जाकर आप एक सफल पत्रकार बन पायेंगे।उन्होंने छात्रों को योग के महत्व से भी अवगत कराया, उन्होंने कहा कि अगर आपको सम्मान पाना है तो आपको दूसरों का सम्मान करना आना चाहिए। उन्होंने छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि अपने अंदर सहजता और स्थिरता लाये तब जाकर आप आगे बढ़ सकेंगे। उन्होंन कहा कि सीखने का जज्बा हर छात्र के अंदर होना चाहिए।उन्होंने कहा कि कभी भी हमें अपने मूल्यों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने वेद, उपनिषदों का उदाहरण देते हुए छात्रों से कहा कि पहले के विद्वानों ने जो देखा समझा उसे मंत्रों के माध्यम से संगीत के माध्यम से हमतक पहुंचाया। उन्होंने संवाद के लिए उस शैली का प्रयोग किया जो सभी को समझ में आए। हमें उन चीजों से सीखना चाहिए।आपको बता दें कि सुभाष घई ने कार्यक्रम के अंत में छात्रों के कई सारे सवालों के जवाब भी दिये। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर प्रमोद कुमार ने किया।
Saurav shekhar
657 words